आत्मविश्वास
भगवतगीता में भगवान ने अर्जुन को कहा है-"मन उस इंसान के लिए शत्रु है..जो इसे नियंत्रण में नही रख सकता.."
लोगो के जीवन में बहोत परेशानीयां आती हैं..कभी छोटी...तो कभी बड़ी..जीवन की रफ्तार लड़खड़ा जाती है..व्यक्ति को सामने का रास्ता धुंधला नजर आने लगता है..एसे हालात अकसर सभी के जीवन मे आते हैं..एक व्यक्ति के लिये ये एक अग्निपरीक्षा होती है...
उसका असली चरित्र एसे हालातों मे ही सामने आता है..दिन के अंत मे जो व्यक्ति सारी नकारात्मकताओं को परे रखकर सिर्फ आनेवाले जीवन के सुनहरे पलों के बारे में सोचकर मन को लक्ष की ओर एकाग्र कर पाता हें...विजेता वही कहलाता है..दुनिया उसे सलाम ठोकता है..वक्त के गर्भ में सबकुछ छिपा हुआ है..घनघोर काले अंधकार में भी विश्वास की मशाल को जलाये रखना...इसी को तो है, भगवान..ईश्वर को पाना इसे ही तो कहते हैं...हर किसी के अंदर बसा हुआ है वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर...आत्मविश्वास के रूप में..बस जरूरत है तो इस दिव्य शक्ति को महसुस करने कि...
भगवान ने कहा है...कर्मन्येवा धिकारस्ते
मा फले सु कदाचनः
मा कर्म फल हेतुभु
मा ते अधिकर्मणे...
अर्थात्....
तुम कर्म करते जाओ..फल की चिंता मत करो...फल पर तुम्हारा अधिकार नही...जो योग्य होगा वो तुम्हे मिलेगा...
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