त्याग-- What is Sacrifice? Importance of Sacrifice in our Life
त्याग सफलता में एक बड़े निवेश की तरह है, इसका मतलब केवल समय या पैसा नहीं है।
यह कहा जाता है कि जोखिम के बिना लाभ अर्जित करना, बिना खतरे का अनुभव करना और बिना काम किए पुरस्कार की उम्मीद करना लगभग असंभव है। इस प्रेरक कथन में हम सफल जीवन की एक आवश्यक शर्त भी पाते हैं। यानी आपको हार न मानते हुए सफलता मिलती है। लेकिन त्याग को अक्सर गलत समझा जाता है।
बहुत कुछ हासिल करने के लिए बाद में बहुत त्याग करना पड़ता है
ज्यादातर लोगों के लिए, बलिदान का अर्थ है अपना समय या पैसा देना। कुछ लोगों के लिए, त्याग का मतलब कठिनाइयों का सामना करना या कुछ अप्रिय काम करना भी है। लेकिन कुछ और कीमत पाने के लिए बलिदान भी किया जाता है। त्याग की वास्तविक परिभाषा है - अपने पैसे, समय, ऊर्जा को एक मूल्यवान वस्तु को देना ताकि बदले में आपको अधिक मूल्यवान वस्तु, अधिक धन या जीवन स्तर मिले। सरल शब्दों में, त्याग का अर्थ है बहुत बाद में लाभ पाने के लिए थोड़ा देना। त्याग भी सफलता का एक निवेश है।
त्याग Sacrifice
त्याग का अर्थ घर छोड़ कर भाग जाना नही,न दुकान छोड़ कर भाग जाना है। त्याग का अर्थ इतना ही है की तुम जहाँ भी हो,जिस स्थिति में भी हो, उससे इतने ग्रसित मत हो जाना कि जब वह छीनी जाए तो तुम पीड़ा से भर जाओ।
त्याग से वैराग्य आता है।दोनों ही अलग शब्द है।पर दोनो मार्ग एक ही जगह जाकर मिलते है।अगर बात भगवान को पूर्ण रूप से पाने की हो।तो त्याग पहले आता है।बहुत से उदाहरण है।मीरा न महलों को त्यागा तो कृष्ण से मिली।बुद्ध ने राज पाठ त्यागा तो स्वयं बुद्ध हो गये।पर मै कहता हूँ त्याग की जरूरत ही नही है जीवन मे लालच,और घृणा का मार्ग का त्याग कर भी ईशवर के सच्चे आनंद की अनुभूति की जा सकती हैै।महलों को त्यागो ये उनका मार्ग था।आज का रास्ता बहुत सरल है।भगवान को केवल प्रेम और धैर्य से ही पाया जा सकता है उसे पाना भी क्या।।उसे बस जीना है।।किसी दिन खूद के ही पैर छू कर देखो।भीतर का भगवान प्रसन्न हो जायेगा
कुछ पंक्तियां आप लोगों के लिए, बताने के लिए त्याग का सही मतलब
त्याग-- What is sacrifice?
त्याग..कहने को तो ढ़ाई अक्षर का एक शब्द है...
पर अनगिनत रंग दिखलाता रोज है।
त्याग क्या होता है...
उस माँ से पुछो...
जो खुद ना खाकर...ओलाद को खिलाए....
खुद जागकर...उसे सुलाए...
वो पिता बताएगा त्याग का मतलब..
जो कड़ी धूप मे पसीने से नहाकर..
लाता हो खुशी बच्चे की...थेली भरकर..
अपनी खुशी बाजु रखकर...
वो फोजी सिखाएगा त्याग का मतलब..
जो अपना हँसता खेलता खलिहान छोर..
निकल पड़ता हो जन्मभुमि का कर्ज अदा करने...
जान कि बाजी लगाए
त्याग एक किसान का पहचान...
जिसके हर सपने मे है सिर्फ सुनहरी
फसलों का गान...
बिजली खड़के या बाढ़ आये घमासान..
वो तो निकल पड़ता हल लिये..
दुनिया का पेट पालने को जो लिया है ठान
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